Thursday 15 December 2016

चाँद पर

जो जो चश्म ए गजल को दिखा चाँद पर।
सुख़नवर ने उतना लिखा चाँद पर।

ख्वाब लफ्जो की सूरत यु बिछते गए,
फ़न ग़ज़ल का भी हमने सीखा चाँद पर।
सुख़नवर ने उतना लिखा चाँद पर।

पूरा दिन गर्म सूरज से लड़ने के बाद,
रात जाकर ये दिल फिर टिका चाँद पर।
सुख़नवर ने उतना लिखा चाँद पर।

गज़ले औ नज़्में औ बंद औ रुबाई,
रातभर जाने क्या क्या बिका चाँद पर।
सुख़नवर ने उतना लिखा चाँद पर।

Friday 14 October 2016

श्रधांजलि।

दोहे


मन में सौ परपंच है, मुख में मंत्रोपचार,
ऊपरी सब उपचार है, भीतर सौ बीमार।
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मनुज जाति के वास्ते ये उच्चकोटि बैराग
ना संसार की चाकरी ना संसार का त्याग।
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देखावा बाहर किया और भीतर कमज़ोर।
दरिया जो गहरा होगा नहीं करेगा शोर।

बाते

छोड़ो ये लढने लढाने की बाते।
ख़ामख़ा ही बढ़ेगी बढ़ाने से बाते।

लहज़ा कुछ हो, गलत तो गलत ही रहेगा,
बदलती नहीं स्वर चढाने से बाते।
बढ़ेगी यक़ीनन बढ़ाने से बाते।

सोच लो पहले कहने से दो बार भीतर,
झूठ लगती है यु लड़खड़ाने से बाते।
बढ़ेगी यक़ीनन बढ़ाने से बाते।

लफ्ज नायाब है, लुटाओ नहीं यु,
सस्ती हो जायेगी बड़बड़ाने से बाते।
बढ़ेगी यक़ीनन बढ़ाने से बाते।

ये कोशिश 'शफ़क़' फिरसे ज़ाया ही होगी,
पढ़ी कब किसीने पढ़ाने से बाते।
बढ़ेगी यक़ीनन बढ़ाने से बाते।

फिर क्यों तुम्हे मैं मात दू

मंज़िल हमारी भिन्न है, फिर क्यों तुम्हे मैं मात दू,
कुछ दांव खेलु, व्यूव रचु, क्यों व्यर्थ ही आघात दू।

है आज जो, परिणाम है गत कर्म, निर्णय, भाग् का,
मेरा है क्या सामर्थ्य जो विपरीत मैं हालात दू।
कुछ दांव खेलु, व्यूव रचु, क्यों व्यर्थ ही आघात दू।

क्या तुम्हारी जय पराजय मेरे ही आधीन है?
क्या हु मैं सूरज तुम्हारा दिन दू या की रात दू?
कुछ दांव खेलु, व्यूव रचु, क्यों व्यर्थ ही आघात दू।

शतरंज के तुम हो वज़ीर, प्यादे की सूरत कद मेरा,
मेरी है क्या औकात तुमको फांस लू, निजात दू।
कुछ दांव खेलु, व्यूव रचु, क्यों व्यर्थ ही आघात दू।

अंत जो इस खेल का हक़ में तुम्हारे ना हुआ,
अब तुम्हे उम्मीद मुझसे की नयी शुरुवात दू।
कुछ दांव खेलु, व्यूव रचु, क्यों व्यर्थ ही आघात दू।

Saturday 16 July 2016

पत्थर कर लू

बजाय इसके की रो रो के बद्तर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

तेरी सोच औ समझ पे तो मेरा जोर नहीं,
मुनासिब है मेरा लहजा ही बेहतर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

रुखा चेहरा, सीने की जलन, खुश्क आँखे,
तेरी बाहों में आउ, खुदको तरबतर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

तू कागज़ पे रख दे अपना इश्क औ जुनूं,
मै तेरे लिखे लफ्जो को मुकद्दर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

तुझिसे ज़िन्दगी है तू ही सबब मौत का भी,
मुमकीन है अपनी साँसों को जहर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

Tuesday 12 July 2016

जिक्र

जिक्र मेरी किसी ग़ज़ल का करना,
फिर आँखों का छलका करना।

आज से जो नाउम्मीद हो जाए,
फिर कोई वादा कल का करना।
जिक्र मेरी किसी ग़ज़ल का करना।

उम्र लगी है दाव पे तो फिर
क्या हिसाब पल पल का करना।
जिक्र मेरी किसी ग़ज़ल का करना।

तकिये को सीने पे रखके,
दिल के बोझ को हल्का करना।
जिक्र मेरी किसी ग़ज़ल का करना।

Sunday 3 July 2016

जब तुम

जब तुम मेरी बाहों का तकिया बनाकर सोती हो,
मै देर तक ताकता रहता हु तुम्हे,
कोई तासुर नहीं होता तुम्हारे चेहरे पर,
न ही कोई शिकन होती है माथे पर,
एक बेफिक्री फैली हुई होती है माथे से लबो तक,
एक मासूमियत की गुलाबी परत आ जाती है चेहरे पे,
बड़ा दिल करता है की समेट लू हाथो से उसे,
और अपनी हथेली पे मल लू,
जब भी तुम उदास लगो या परेशां रहो,
तुम्हारे चेहरे पे लगा दू ये रंग ओ अदा,
तुम्हे ताज्जुब होगा पर हकीकत है ये भी,
की उस वक़्त मेरे भी चेहरे पे कोई तासुर नहीं होते,
जो सुकूं तुम्हे मिलता है बंद आँखों में उस वक़्त,
उसी सुकूं को मै भी जीता हु खुली आँखों से.

मै सोता हु तुम्हारी आँखों से,
तुम मेरी आँखों से जागती हो।

तो दिल से उतर जाता

तेरा नज़रिया भी गर मेरी नज़र जाता।
मेरा रवैया भी, मुमकिन था सुधर जाता।

मेरी ख़ामोशी ने मुझे अजीज़ बनाए रखा,
मै बोल देता, तो दिल से उतर जाता।
मेरा रवैया भी, मुमकिन था सुधर जाता।

मै गुज़रा हु ऐसी भी बेबसी से कभी,
गर पगड़ी बचाना चाहता तो सर जाता।
मेरा रवैया भी, मुमकिन था सुधर जाता।

हम बिछड़ गए, ये गलतफहमी है जमाने की,
ये हकीकत में गर होता तो मर जाता।
मेरा रवैया भी, मुमकिन था सुधर जाता।

Sunday 24 April 2016

परवरदिगार

ग़मगीन रख, मुश्किल बना बेकरार कर,
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर।

मेरा ही मुझसे छिनकर, क्या हुआ हासिल,
मै तुझसे बड़ा लगने लगा तुझिसे हारकर।
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर.

मुझे आजमाने में कही ऐसा ना हो खुदा,
तुझे मंदिर में फिरसेें रखदु दिल से उतार कर।
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर।

इश्क जो नहीं तो क्यों जुडा नफ़रत के बहाने,
छोड़ दे, निज़ात पा, मुझे दरकिनार कर।
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर।

हमेशा ये दरख़्त ऐसा ही बेनूर ना होगा,
बदलेगा "शफ़क़" मौसम ज़रा इंतज़ार कर।
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर

Monday 18 April 2016

निभा भी ना सकू

ज़िंदगी तुझसे वफ़ा और निभा भी ना सकू,
और ऐसा भी है की छोड़ के जा भी ना सकू।

ये रिश्ता जो मैंने अपने ही हाथो से बुना था
उसी रिश्ते को दिल ओ जां से निभा भी ना सकू।
और ऐसा भी है की छोड़ के जा भी ना सकू।

तुझे चाहा, तू मिल गया इतना आंसा तो नहीं,
मुश्किल भी नहीं इतना की पा भी ना सकू।
और ऐसा भी है की छोड़ के जा भी ना सकू।

दूर इतना ना निकल जाऊ मंजिल की ताब में,
आगाज़ पे फिर लौट के कभी आ भी ना सकू।
और ऐसा भी है की छोड़ के जा भी ना सकू।

ये भी क्या फासले, ये बेबसी, दर्द ए सुखन,
तुझी पे लिखे शेर तुझको सूना भी ना सकू।
और ऐसा भी है की छोड़ के जा भी ना सकू।

उसीसे इश्क है जो आया है चारागर बनके,
दर्द की इन्तेहा है, खुलके बता भी ना सकू।
और ऐसा भी है की छोड़ के जा भी ना सकू।

Thursday 18 February 2016

आने नहीं देता

वो किसी हाल में दिल ओ जज़्बात तक आने नहीं देता,
किसी भी बात को 'उस' बात तक आने नहीं देता।

यु तो गुफ़्तगू करता है दुनियाभर के मसलों पर,
बस मुझसे बाबस्ता खयालात तक आने नहीं देता।
किसी भी बात को 'उस' बात तक आने नहीं देता।

उम्र लग जाएगी लगता है दिल तक पहुचने में,
वो हाथो को भी अभी हाथ तक आने नहीं देता।
किसी भी बात को 'उस' बात तक आने नहीं देता।

मेरी सोबत में रहता है सहर से शाम होने तक,
मुलाक़ात को बस रात तक आने नहीं देता।
किसी भी बात को 'उस' बात तक आने नहीं देता।

जाने नहीं देता अंजाम तक मेरी कोशिशे,
और फिर नयी शुरवात तक आने नहीं देता।
किसी भी बात को 'उस' बात तक आने नहीं देता।

Sunday 14 February 2016

सूरज डूबता ह

सूरज डूबता है, शाम पिघल जाती है,
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

जितनी शिद्दत से बांधते है इसे मुठ्ठी में,
उतनी रफ़्तार से ही रेत फिसल जाती है।
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

जो तेरे साथ चलु वक़्त को है रंजिशे,
मै वही रहता हु तारीख बदल जाती है।
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

कायम रखे सारे भरम, खामोश रहे,
बातो बातो दिल की बात निकल जाती है।
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

माँ सहलाए भी जो हाथ से तस्वीर मेरी,
मिलो दूर मेरी हर बला टल जाती है।
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

याद आये हम

बाद ए फुरक़त भी मरसीम इतना निभाये हम,
एक दुसरे को याद करे, याद आये हम।

इतनी तो कम से कम अना रिश्ते में बची हो,
कभी रूबरू हो जाए तो सर ना झुकाए हम।
एक दुसरे को याद करे, याद आये हम।

ये दुरिया इतनी सी कशमकश पे आयी है,
वो खुद ही नहीं जायेगा या फिर रुकाये हम?
एक दुसरे को याद करे, याद आये हम।

पत्थर की मुरती में रब ऐसे इजात होगा,
दिल भी शरीक़ हो जब सर को झुकाए हम।
एक दुसरे को याद करे, याद आये हम।

Sunday 17 January 2016

नज़्म

मुझमे कोई मरा है कल शब्,
जिस्म से रूह तक मातम है,
बड़ा करीबी किरदार था मेरा,
वक़्त बेवक्त काम आया था,
वो मुझसे था की मै उससे,
अब पता चलेगा उसके जाने के बाद,
कई हबीब औ रकीब मेरे,
बस उसीको जानते थे,
मै महज़ एक पहनावा था,
ताकि जुड़ने में आसानी हो,
अब डरता हु खाली सुखा जिस्म लिए,
अब कैसे अपनी पहचान कहु,
उसका अपना जिस्म भी नहीं था,
फिर भी एक खालीपन है,
शक्ल औ सूरत होकर भी,
कोई भी पहचान नहीं है,
अब कोई कैसे दफ़्न करे,
और मज़ार पे क्या लिखे,
कौन मरा, कब पैदा हुआ था?
ये भी क्या रवाज़ ए दुनिया,
बस जिस्मो का जशन औ मातम,
हालाकी सब जुड़े हुए है,
एक दूजे के किरदारों से,

मुझमे एक किरदार मरा है,
यतीम जिस्म अभी ज़िंदा है।

तन्हा हु मै।


वो कहता है हासिल ए जां हु मै।
मै जानता हु की तन्हा हु मै।

दिल में शर्मिन्दगी, ग़मज़दा आँखे,
इसके अलावा मेरी जां कहा हु मै?
मै जानता हु की तन्हा हु मै।

इश्क ओ ज़फ़ा फुरक़त औ उम्मीद,
बारहा बर्दाश्त की इन्तेहां हु मै।
मै जानता हु की तन्हा हु मै।

मै शर्मिंदा कर देता हु उसे बेटा होकर,
वो हर बार कह देती है की मां हु मै।
मै जानता हु की तन्हा हु मै।

वो जिसे मोड़ कहकर तू चल दिया था,
मुड़कर देख अब भी वहा हु मै।
मै जानता हु की तन्हा हु मै।

बदल डाले।

सारी शिकायते सभी मुश्किल बदल डाले।
चल यु करे एक दुसरे से दिल बदल डाले।

रास्ते जो अलग होने लगे है तो यु करे,
कोई सुलह करके मंज़िल बदल डाले।
चल यु करे एक दुसरे से दिल बदल डाले।

बाबस्ता मुझसे उसने कुछ लिखा है रेत पर
समंदर से कहो अपना साहिल बदल डाले।
चल यु करे एक दुसरे से दिल बदल डाले।

अदब इतना तो मोहब्बत का लाज़िम है खुदा,
मौत दे मुझे बस मेरा क़ातिल बदल डाले।
चल यु करे एक दुसरे से दिल बदल डाले।

जूरुरी है 'शफ़क़' ये हूनर अब तुम भी सिखलो,
खुदको न बदल पाए तो महफ़िल बदल डाले।
चल यु करे एक दुसरे से दिल बदल डाले।