Monday 24 December 2012

नींद आने में देर लगेगी...


नींद आने में देर लगेगी,
शब् कैसे बाखैर लगेगी?

मै सच्चाई कैसे लिखदु,
कलम नहीं समशेर लगेगी. 
शब् कैसे बाखैर लगेगी?

लफ्ज तेरे कभी लगे थे मुझको,
घावो को भरते देर लगेगी.
शब् कैसे बाखैर लगेगी?

मेरा तरीका मत अपनाना,
सारी दुनिया गैर लगेगी
शब् कैसे बाखैर लगेगी?

मै भी पत्थर का हो जाऊ,
सारी दुनिया पैर लगेगी.
शब् कैसे बाखैर लगेगी?

Monday 17 December 2012

त्रिवेणी

त्रिवेणी

आइना देखता हु तो दर सा जाता हु इन दीनो,
तनाव की गहराईय पेशानी की लकीर बन गयी है.

माँ के आँचल से चेहरा पोछे अरसा हो गया है.

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किसी बेवा की तरह, सफ़ेद रोशनी लपेटे हुए गुजरता है दिन,
रात होते ही सितारों की चुनरी ओढ़कर चाँद की बिंदी लगा लेता है.

दो ज़िंदगी जीती है वो, दिन में मेरी बेवा है, रात किसीकी सुहागिन भी
.
 

कल यु ही...

कल यु ही तेरी यादो को टटोलते हुए,
जहन के एक कोने में एक ख़याल मिला,
बहोत पुराना सा लग रहा था,
मैंने जज्बातों की जालिया हटाई,
वक़्त की धुल को साफ़ किया,
...
बड़ी हिफाजत से उठाकर,
करीब लाकर गौर से देखा,
सालो पहले की एक शाम का मंजर,
तुझसे रुखसत लेते वक़्त,
मै कुछ कहते कहते रुक सा गया था,
भूल चुकी हो तुम?
मुझको भी कहा याद था वैसे,
वो अनकहा ख़याल अब भी जिंदा है,
'तुमसे मौजज़ा फिरसे मिलूँगा, मुझको यकीं है'
फिर 'उस' उम्मीद ने साँसे ली कल,
फिर 'उस' उम्मीद में जान आई है.

कल यु ही तेरी यादो को टटोलते हुए,
जहन के एक कोने में एक ख़याल मिला,