Saturday 14 January 2023

तुम्हे गर राम बनना है..

तुम्हे गर राम बनना है, अयोध्या छोड़नी होगी।

मुकुट एक राजगद्दी का सजाकर थाल पे होगा,
तिलक संभव है रघुकुल राज का भी भाल पे होगा।
मां की ममता पिता का हर्ष चरम उत्कर्ष पे होंगे,
बिना संघर्ष तारे भाग्य के भी अर्श पे होंगे।
तुम्हे पर राजपथ से राह अपनी मोड़नी होगी।
तुम्हे गर राम बनना है, अयोध्या छोड़नी होगी।

वांशागत सरल जीवन तज पाओगे लेकिन तुम?
कर्मभूमि जो जंगल है वहा जाओगे लेकिन तुम?
मनाएंगे तुम्हे सब लौटने की जिद पकड़ लेंगे,
तुम्हारे आप्त बनकर बेड़ियां तुमको जकड़ लेंगे।
बड़ी मजबूत होंगी बेड़ियां पर तोड़नी होगी।
तुम्हे गर राम बनना है, अयोध्या छोड़नी होगी।

मान सम्मान सिंहासन है मिल सकता विरासत में,
कला नेतृत्व की लेकिन नही मिलती अमानत में।
समदर्शी, समावेशक, स्वयंभू और सहायक तुम,
शत् सदियों के बन सकते हो तब आदर्श नायक तुम।
कई कड़ियां तुम्हे हर मोड़ पे बस जोड़नी होगी।
तुम्हे गर राम बनना है, अयोध्या छोड़नी होगी।

जीवनभर ये पथ तुमसे किंतु परित्याग मांगेगा,
कभी बनवास भेजेगा कभी बैराग मांगेगा।
'राजपथ' में सुविधा, सुख तथा प्रहर्ष है संभव,
'रामपथ' से ही लेकिन राम का उत्कर्ष है संभव।
कर्मभूमि के खातिर जन्मभूमि छोड़नी होगी।
तुम्हे गर राम बनना है, अयोध्या छोड़नी होगी।