Wednesday 10 February 2021

भक्ती की बुनियाद है क्या?

भक्ती की बुनियाद है क्या?

जो प्रेम है भक्ती कारण तो,
ये यथाचार, अनुशासन क्यो?
जो भक्त के हिस्से तृण आसन,
भगवान को फिर सिंघासन क्यो?

जो प्रेम है भक्ती कारण तो,
ये शुद्ध, अशुद्ध की शर्तें क्यो?
संवाद रहे मन से मन का,
ये मंत्र, श्लोक की परतें क्यो?

जो प्रेम है भक्ती कारण तो,
ये एकतरफा अभिनंदन क्यों,
हो प्रणयलिप्त बस आलिंगन,
नतमस्तक होकर वंदन क्यो?

जो डर है भक्ति कारण तो,
कोई भुलसे भी अपराध ना हो,
वो जो भी करे स्वीकार करो,
फिर कोई बहस, संवाद न हों।

जो डर है भक्ति कारण तो,
गलती पे क्षमा अभिलाषा क्यो,
उस डर के ईश से फिर तुमको,
हो दया, प्रेम की आशा क्यों?

जो डर है भक्ति कारण तो,
वो मालिक है, भगवान नही,
तुम केवल हो बंधक उसके,
जिन्हें करुणा का वरदान नही।

जो स्वार्थ है भक्ति कारण तो,
क्यो रामायण पर बाते हो?
बस लेन देन का हो हिसाब,
गीताके जगह बही खाते हो।

जो स्वार्थ है भक्ति कारण तो,
भक्ति का स्वांग दिखावट क्यो,
ये माला, अंगूठी, कुमकुम और,
ये चंदन लेप सजावट क्यो?

जो स्वार्थ है भक्ति कारण तो,
हर अर्पण हो प्रतिफल के लिए,
हो एक ही कारण मिलने का,
बस अपनी समस्या हल के लिए।

प्रभु, तुम्ही बताओ भक्ति का,
आखिर सच्चा अवलंब है क्या?
ये पूजा पाठ, ये ध्यान, योग,
ये आडम्बर है, दम्भ है क्या?

न पूर्ण प्रेम ही है भक्ति,
ना पूर्ण स्वार्थ, ना ही डर है,
ये है प्रयाग इन भावों का
ये बहुरंगी, निर्मल निर्झर है।

हुम् भक्ति का मर्म समझ पाए
हुम् मीरा, तुलसी, प्रल्हाद नही,
है भक्ति ही बुनियाद स्वयम,
भक्ति की कोई बुनियाद नही।