Sunday 29 August 2010

बगैर मेरे......


बगैर मेरे कैसे शाम उसकी गुजराती होगी,
हर एक चीज पे नज़र कुछ देर ठहरती होगी.


आईने पूछते होंगे सबब उदासी का,
वो आज कल यक़ीनन कम ही सवंरती होगी.
हर एक चीज पे नज़र कुछ देर ठहरती होगी.

सुने कमरे में अँधेरे से लिपटकर अक्सर,
आंसुओ के साथ सिसकिया बिखरती होगी.
हर एक चीज पे नज़र कुछ देर ठहरती होगी.

मेरी बातो के सिलसिले जो याद आते होंगे,
उदास शक्ल कुछ देर को तो निखरती होगी.
हर एक चीज पे नज़र कुछ देर ठहरती होगी.

Friday 13 August 2010

हर तरफ.....

हर तरफ दुनियादारी निभाई जा रही है,
बस एक मोहब्बत है जो सताई जा रही है.


कितने बरसो से है दील में उनके इश्क मेरा,
हमारी चीज़ ही हमसे छुपाई जा रही है.
बस एक मोहब्बत है जो सताई जा रही है.

तड़प उनको भी है मुझसे करीब आनेकी,
खामखा क्यों ये बेरुखी जताई जा रही है.
बस एक मोहब्बत है जो सताई जा रही है.

जहन के वईजी से और जुबां के डर से,
दिल के साथ आँखे रुलाई जा रही है.
बस एक मोहब्बत है जो सताई जा रही है.

जो हकीकत है उसको छुपाके सीने में,
जो नहीं है, वो बाते बताई जा रही है.
बस एक मोहब्बत है जो सताई जा रही है.

पहले छुपा लेते थे इश्क के तासुर 'शफक'
आज चेहरे से मोहब्बत लुटाई जा रही है.
बस एक मोहब्बत है जो सताई जा रही है.

Tuesday 10 August 2010

फासला

वो बड़े अहतराम से आज मिला मुझसे,
शायद कर लिया उसने भी फासला मुझसे.


उसकी शिकायते निशानी थी उससे कुर्बत की.
अब नहीं रखता है वो कोई गिला मुझसे.
शायद कर लिया उसने भी फासला मुझसे.

वो छुपाता है इश्क, अश्क और एहसास सभी,
और चाहता है हर एक सिलसिला मुझसे.
शायद कर लिया उसने भी फासला मुझसे.

Continue.....

Sunday 1 August 2010

कुछ बाते जो...

कुछ बाते दिल में दबी रही, न हमने कही, न तुमने कही.
बेजुबां कई तकलीफे, कुछ तुमने सही, कुछ हमने सही.

फुजूल हमने गवां दिए वो मौके खुलके बरसने के,
अब गुबार के बादल तो है, पर बारिश की उम्मीद नहीं.
बेजुबां कई तकलीफे, कुछ तुमने सही, कुछ हमने सही.

कितनी बाते तो की तुमसे, वो सारी बाते बेमतलब थी,
बस दो बाते थी मतलब की, जो कायम दिल में कैद रही.
बेजुबां कई तकलीफे, कुछ तुमने सही, कुछ हमने सही.

कुछ लफ्ज मेरे होटो पे आकर कपकपाते रह जाते थे,
कशमकश थी एक इतनी सी, ये गलत नहीं या सही नहीं.
बेजुबां कई तकलीफे, कुछ तुमने सही, कुछ हमने सही.
Mere Aankho Me.....

कुछ बुँदे है बारिश की, कुछ नमी है मेरी आँखों में,
कितने बरसो की बरसाते थमी है मेरी आँखों में.


हकीकतो की सख्ती से वैसे तो वाकिफ है दिल,
झूटी उम्मीदों की धुल भी जमी है मेरी आँखों में.
कितने बरसो की बरसाते थमी है मेरी आँखों में.

तजुर्बो ने छोड़ा है ऐसा असर जहन-ओ-दिल पे,
मेरे ही ख्वाबो की सूरत सहमी है मेरी आँखों में.
कितने बरसो की बरसाते थमी है मेरी आँखों में.

जानेवाला लुट गया सब इश्क 'शफक' के दामन का,
अब खुदसे ही नफ़रत औ बेरहमी है मेरी आँखों में.
कितने बरसो की बरसाते थमी है मेरी आँखों में.