Sunday 14 February 2016

सूरज डूबता ह

सूरज डूबता है, शाम पिघल जाती है,
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

जितनी शिद्दत से बांधते है इसे मुठ्ठी में,
उतनी रफ़्तार से ही रेत फिसल जाती है।
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

जो तेरे साथ चलु वक़्त को है रंजिशे,
मै वही रहता हु तारीख बदल जाती है।
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

कायम रखे सारे भरम, खामोश रहे,
बातो बातो दिल की बात निकल जाती है।
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

माँ सहलाए भी जो हाथ से तस्वीर मेरी,
मिलो दूर मेरी हर बला टल जाती है।
किसी की याद तरह शम्मा के जल जाती है।

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