Monday 21 November 2022

बाक़ी है अभी

सब्र ए समीम में कुछ जान बाक़ी है अभी।
मेरे कुछ और इम्तेहान बाक़ी है अभी।

ज़िन्दगी तू तो जी रही है ज़माने से मुझे,
हां, पर मेरे सब अरमान बाक़ी है अभी।
मेरे कुछ और इम्तेहान बाक़ी है अभी।

नेक औ ज़र्फ़ 'मैं' ने जी लिया पूरा बचपन,
मगर वो शरारती शैतान बाक़ी है अभी।
मेरे कुछ और इम्तेहान बाक़ी है अभी।

थका नही, शज़र की बंदगी ने रोका है,
मेरे पंखों में कुछ उड़ान बाक़ी है अभी।
मेरे कुछ और इम्तेहान बाक़ी है अभी।

खुशी की कोई अलामत कहीं नही मिलती,
हर एक ज़ख्म के निशान बाक़ी है अभी।
मेरे कुछ और इम्तेहान बाक़ी है अभी।

'ग़ज़ल' कुछ और देर जाग मेरे साथ, तुझे
मेरे ख़याल बेबस परेशान बाक़ी है अभी।
मेरे कुछ और इम्तेहान बाक़ी है अभी।