Friday 9 December 2011

चाँद खिड़की पे..

चाँद खिड़की पे ठहरा रहा रातभर,
नींद पे सख्त पहरा रहा रातभर.


आँख जलती रही और पिघलती रही,
सर्द मौसम में सहरा रहा रातभर.
नींद पे सख्त पहरा रहा रातभर.

ओस की बूंद थी या चाँद का दर्द था ?
सदमा क्या था की गहरा रहा रातभर?
नींद पे सख्त पहरा रहा रातभर.