Sunday 3 July 2016

जब तुम

जब तुम मेरी बाहों का तकिया बनाकर सोती हो,
मै देर तक ताकता रहता हु तुम्हे,
कोई तासुर नहीं होता तुम्हारे चेहरे पर,
न ही कोई शिकन होती है माथे पर,
एक बेफिक्री फैली हुई होती है माथे से लबो तक,
एक मासूमियत की गुलाबी परत आ जाती है चेहरे पे,
बड़ा दिल करता है की समेट लू हाथो से उसे,
और अपनी हथेली पे मल लू,
जब भी तुम उदास लगो या परेशां रहो,
तुम्हारे चेहरे पे लगा दू ये रंग ओ अदा,
तुम्हे ताज्जुब होगा पर हकीकत है ये भी,
की उस वक़्त मेरे भी चेहरे पे कोई तासुर नहीं होते,
जो सुकूं तुम्हे मिलता है बंद आँखों में उस वक़्त,
उसी सुकूं को मै भी जीता हु खुली आँखों से.

मै सोता हु तुम्हारी आँखों से,
तुम मेरी आँखों से जागती हो।

4 comments:

shivani said...

Beautiful. ....mature alfaz...excellent. ..

shivani said...

Beautiful. ....mature alfaz...excellent. ..

Ajit Pandey said...

Thank you so much :)

Unknown said...

👌👌👌