Tuesday 28 June 2011

त्रिवेणी

कुछ तस्वीरे निकाल ली थी उसने एल्बम से,
बहोत प्यार से खिचवाई थी कभी हमने,

काश कुछ पन्ने ज़िन्दगी के भी निकाल पाते हमेशा के लिए.

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तुमने जाते हुए मुस्कुराकर देखा था मेरी ओर,
लगा था तुम जरुर लौटकर आओगी.

यकीन नहीं होता एक मजाक क्या क्या कर सकता है.

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पहले इन्ही बातो में दिन गुजारा करते थे हम दोनों,
अब वो सारी बेमतलब की बाते फिजूल लगती है.

कुछ मेरी नजर बदलती गयी कुछ तुम चेहरे बदलते गए.

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Monday 27 June 2011

हथेली

कल गौर से देखा अपनी हथेली को,
कितनी लकीरे, कुछ गहरी, कुछ धुंदली सी,
आधी अधूरी कई लकीरे एक दूजे में उलझी हुई,
क्या पता क्या मायने है इनके, है भी या बस यु ही है ये सब.
मुझको अब भी याद है लेकिन,
उस दिन तुमने मेरी हथेली में अपनी लकीर दिखाई थी,
कितनी गहरी और पूरी थी उन दिनों,
उस लकीर के अलावा किसी और का मायना नहीं पता था मुझको,

अब वो दोनों लकीरे धुंदली है,
बस एक निशान भर बचा है उसके होने का.
तुम्हारी लकीर मेरे हाथो से अब बस मिटने को है,
एक और लकीर भी मिट जाएगी यक़ीनन मेरे उम्र की.

Thursday 2 June 2011

फुरकत के बाद........

अंजाम ये हुआ इश्क का फुरकत के बाद,
वो बड़े मसरूफ हो गए मुझसे फुर्सत के बाद.


मैंने यु भी ली है रंजिश खुदा से, खुदाई से,
कभी चाँद नहीं देखा तुझसे रुखसत के बाद.
वो बड़े मसरूफ हो गए मुझसे फुर्सत के बाद.

वक़्त रेंगता है लम्हा दर लम्हा बेजान सा.
लम्हों में रूह आ गयी थी तेरी शिरकत के बाद.
वो बड़े मसरूफ हो गए मुझसे फुर्सत के बाद.

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