Friday 10 April 2015

तन्हाई है...

कुछ चीज़े है, परछाई है।
मै हु और तन्हाई है।

चेहरे से नज़र नहीं आता,
समंदर हु, गहराई है।
मै हु और तन्हाई है।

तू था ही नहीं मुकद्दर में
यक़ीनन महज़  सफाई है?
मै हु और तन्हाई है।

मेरे होने से सब रिश्ते,
चुभती है? सच्चाई है।
मै हु और तन्हाई है।

नोक झोक में उधड गयी,
बड़ी कच्ची तुरपायी है।
मै हु और तन्हाई है।