Thursday 29 April 2010

बदल गए है ..........

हालात बदल गए है, खयालात बदल गए है,
सायल वही है फीर भी सवालात बादल गए है.

शहरों की तरक्की पे है नाज मुझे भी,
बस गम जरासा है क्यों देहात बदल गए है.
सायल वही है फीर भी सवालात बदल गए है.

वो दौर ही था और दोस्तों का, दोस्ती का,
उम्र के साथ साथ लेकीन जज्बात बदल गए है.
सायल वही है फीर भी सवालात बदल गए है.

जरूरतमंद है दोनों एक दुसरे के यक़ीनन,
बस दिल से दिल के जो थे तालुकात बदल गए है
सायल वही है फीर भी सवालात बदल गए है.

Monday 19 April 2010

Kuchh Adure Khayal........

कुछ ख्वाब अधूरे छोड़ आया, कुछ किस्से पुराने छोड़ आया,
उस कमरे की तन्हाई में कितने ज़माने छोड़ आया.

अब तो दिन का सूरज थक कर पैमाने में डूबा है,
वहा अधूरी नज्मो में लाखो मयखाने छोड़ आया.
उस कमरे की तन्हाई में कितने ज़माने छोड़ आया.

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आँख खुली और सिरहाने में तेरे अधूरे ख्वाब मिले,
सहर आइना देखा तो आँखों में महताब मिले.

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ये शाम यु ही फैली रहने दो, रात तलक मत जाने दो,
मध्हम सूरज की बाहों में धुंधला सा चाँद इतराने दो.

ढलती किरने सूरज की जो चाँद का चेहरा छू लेंगी,
सावले चाँद को पहले इश्क में थोडा तो शरमाने दो.
मध्हम सूरज की बाहों में धुंधला सा चाँद इतराने दो.

कई ज़माने से देखा है जलते बिलखते सूरज को,
आज के दिन बस चाँद की रुई से जख्म इसे सहलाने दो.
मध्हम सूरज की बाहों में धुंधला सा चाँद इतराने दो.

Kuchh khayal adhure rah jate hai, kuchh khushiya bhi aur kuchh lamhe bhi par wo pure jarur hote hai kisi din achanak jab shayad unke pura hone ki ummid bhi nahi rahti....

Saturday 17 April 2010

Raat Yu aankh khuli....

Raat yu aankh khuli, kuchh khwab gire, tut gaye,
Tumko bas chhu hi liya tha ki tum chhut gaye.


Kitne shiddat se banate ho rabt, tajjub hai,
aansu tumhare sath na ho paye to ruth gaye.
Tumko bas chhu hi liya tha ki tum chhut gaye.

Khuda paththar me rakha tha, ab bhi kameel hai,
Insaan kaanch ke the sab, gire to fut gaye.
Tumko bas chhu hi liya tha ki tum chhut gaye.

Bachaye rakhe the ahsas tere mushkil se 'shafak',
Gazalo ke mausam is bar wo bhi lut gaye.
Tumko bas chhu hi liya tha ki tum chhut gaye.
बेमानी होगी


आज फिर रात दिल की यही परेशानी होगी,
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.


छू ही लेना निगाहों से, ख्वाबो में चेहरा मेरा,
नींद में मुस्कुरा देना, मेहरबानी होगी
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.

मै लुटा भी दु अपनी हस्ती औ वजूद फिर भी,
तुझको बस ज्यादा से ज्यादा हैरानी होगी.
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.

धीरे धीरे ख़तम हो जाएगा ये रिश्ता यु ही,
किसी किताब में कोई बेरंग निशानी होगी.
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.

मसरूफ हो जाओगे ताज़ा तरीन ज़िन्दगी में,
पर जहन के कोने में एक याद पुरानी होगी
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.

Thursday 1 April 2010

Faisale Hue


कुछ बहस , कुछ गुफ्तगू , कुछ शिकवे -गिले हुए,
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.


टूटे हुए रिश्ते की थी नुमाइश कुछ इस तरह
एक तस्वीर के टुकड़े और कुछ ख़त जले हुए .
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

यादे समेट रखी थी जिन तौफो में कभी तो ,
कुछ कांच के टुकड़े भी वहा थे फैले हुए .
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

बिखरे हुए कमरे में सन्नाटो की गूंज थी,
और उसकी सिसकियो के थे कुछ सुर मिले हुए.
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

उस रिश्ते को न जिंदा रखा न ही मारा उन्होंने,
कितने थे जख्म आधे खुले आधे सिले हुए.
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

मेरा हर तौफा तेरे पास तो मुरझा गया होगा,
तेरे वो कागज़ी फुल है पर अब तक खिले हुए.
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.