Wednesday 22 January 2014

आखो को देख ज़रा...

शर्मिन्दा, झुकी हुयी आखो को देख ज़रा,
मेरी इन थकी हुयी आखो को देख ज़रा.

हमारे दरमियाँ क्या बचा है ये न पूछ,
बस तुझपे रुकी हुयी आखो को देख ज़रा.
मेरी इन थकी हुयी आखो को देख ज़रा.

 मुझे भी आ गया है आंसू छुपाने का हूनर,
तुझीसे सीखी हुयी आखो को देख ज़रा.
मेरी इन थकी हुयी आखो को देख ज़रा.

तुझसे बाबस्ता गज़ले अब भी छलकती है 'शफक',
तुनेही लिखी हुयी आँखों को देख ज़रा.
मेरी इन थकी हुयी आखो को देख ज़रा.

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