Monday 9 May 2011


कल रात दफ़न कर आया हु


कल रात दफ़न कर आया हु,
वो ख्वाब जो कल शाम मरे.

अश्को से नहलाया पहले,
आहो से फिर पोछा भी,
तेरी यादो का अत्तर छींटा,
पलकों के सहारे बैठाया फिर,
सारी खोकली बाते रखदी,
सारे झूटे वादे परोसे,
जो बहोत पसंद थे ख्वाबो को,
फटी पुराणी, काफी खस्ता,
रिश्ते की फिर चादर ली,
सारे टुकडे जोड़े फिरसे
दिल की तसल्ली की खातिर,
और कफ़न में रखे सारे,
अश्को के कुछ फुल बिछाए.
बड़ी हिफाजत से ढंका फिर,
उस मासूम से चेहरे को,
अब तक पलकों की शान थे सारे,
अब कांधे पे बोझ ही थे,

कल रात दफ़न कर आया हु,
वो ख्वाब जो कल शाम मरे.

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