Tuesday 10 May 2011

अब वक़्त है....

अब वक़्त है, बेहतर मौजूदा हालात करू,
कुछ देर कही बैठू, खुदसे कुछ बात करू.


सारे तजुर्बो और शिकस्तो से सिखु,
और कुछ काबू में ये अल्हड जज्बात करू.
कुछ देर कही बैठू, खुदसे कुछ बात करू.

वक़्त ने करवट अबके मेरी तरफ ली है,
जो तुने किया था क्या वो तेरे साथ करू?
कुछ देर कही बैठू, खुदसे कुछ बात करू.

इस सवाल का तू ही जवाब है 'माँ' शायद,
किसकी गोद में सर रखु, कहा रात करू?
कुछ देर कही बैठू, खुदसे कुछ बात करू.

2 comments:

shivani said...

वक़्त ने करवट अबके मेरी तरफ ली है,
जो तुने किया था क्या वो तेरे साथ करू?
कुछ देर कही बैठू, खुदसे कुछ बात करू.

bahut sundar likhte ho .....sundar alfaaz.shbdon ko achchey se piroya hai tumne....dhanywaad...

Ajit P said...

Hey Thanks a lot