Thursday 1 April 2010

Faisale Hue


कुछ बहस , कुछ गुफ्तगू , कुछ शिकवे -गिले हुए,
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.


टूटे हुए रिश्ते की थी नुमाइश कुछ इस तरह
एक तस्वीर के टुकड़े और कुछ ख़त जले हुए .
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

यादे समेट रखी थी जिन तौफो में कभी तो ,
कुछ कांच के टुकड़े भी वहा थे फैले हुए .
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

बिखरे हुए कमरे में सन्नाटो की गूंज थी,
और उसकी सिसकियो के थे कुछ सुर मिले हुए.
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

उस रिश्ते को न जिंदा रखा न ही मारा उन्होंने,
कितने थे जख्म आधे खुले आधे सिले हुए.
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

मेरा हर तौफा तेरे पास तो मुरझा गया होगा,
तेरे वो कागज़ी फुल है पर अब तक खिले हुए.
कल रात इश्क के कुछ अहम् फैसले हुए.

1 comment:

One Friend said...

Very Real...

Sabhi faisale aise hi hote hai.....