Saturday 17 April 2010

बेमानी होगी


आज फिर रात दिल की यही परेशानी होगी,
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.


छू ही लेना निगाहों से, ख्वाबो में चेहरा मेरा,
नींद में मुस्कुरा देना, मेहरबानी होगी
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.

मै लुटा भी दु अपनी हस्ती औ वजूद फिर भी,
तुझको बस ज्यादा से ज्यादा हैरानी होगी.
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.

धीरे धीरे ख़तम हो जाएगा ये रिश्ता यु ही,
किसी किताब में कोई बेरंग निशानी होगी.
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.

मसरूफ हो जाओगे ताज़ा तरीन ज़िन्दगी में,
पर जहन के कोने में एक याद पुरानी होगी
तुझे याद करू तो मुश्किल न करू तो बेमानी होगी.

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