Saturday 20 August 2022

अच्छा था

पहली बातें, पहले मंज़र, हर गुज़रा पल अच्छा था।
'आज' मुझे अक्सर लगता है की बीता कल अच्छा था।

ख़्वाब नुकीले, झूटी तरक्की, रेशमी बिस्तर चुभते है,
मासूम तक़ाज़े, सच्ची ख्वाहिश, माँ का आँचल अच्छा था।
'आज' मुझे अक्सर लगता है की बीता कल अच्छा था।

बरस चुका हु, साफ फ़लक है, पर अब ऐसा लगता है,
धुंधले नज़ारे, मद्धम सूरज, उड़ता बादल अच्छा था।
'आज' मुझे अक्सर लगता है की बीता कल अच्छा था।

चका चौन्ध, ये आसानी, ये शहरी मंज़र बुरा नही,
मिट्टी के घर, मीठा पानी, दाल और चावल अच्छा था।
'आज' मुझे अक्सर लगता है की बीता कल अच्छा था।

झुलस गई है आंखे तेरी, क्यों ऐसे ख़्वाब सजाये थे,
इन नाज़ुक हँसती आंखों पर हल्का काज़ल अच्छा था।
'आज' मुझे अक्सर लगता है की बीता कल अच्छा था।

जिसने बचाया अब उसके अहसां में डूबा जाता हूं,
अब लगता है इस दलदल से क्या वो दलदल अच्छा था।
'आज' मुझे अक्सर लगता है कि बीता कल अच्छा था।

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