Monday 25 October 2010

मायने


तुम्हारे न लौटकर आने के फैसले ने,
मेरी ज़िंदगी के मायने बदल दीये.


अब किसी का इंतजार नहीं रहता,
किसीके आने और जाने से फर्क नहीं पड़ता अब,
बहोत भीड़ में भी बहोत अकेला होता हु मै.
आँखे भी किसी चेहरे को तलाशती नहीं अब,
अब मै अपना हर काम अपने वक़्त पे करता हु,
आजकल चाँद भी बस चाँद है,
उस एक दाग के अलावा कुछ भी नहीं बचा उसके पास,
कमरे में कुछ ख्याल रहते है सुस्त, थके हारे,
और कुछ अधमरी गज़ले डायरी के कफ़न में लिपटी हुई,
पड़ी रहती है मेज पर,
न ही कोई पढ़ता है और न ही कोई समझ पाया अब तक,
अब मै भी गौर नहीं करता उनपर,
क्या होगा हर्फ़ हर्फ़ बनी थी, हर्फ़ हर्फ़ बिखर जाएँगी.
बस एक चीज़ नहीं बदली तुम्हारे जाने के बाद,
तुम्हारी यादे आज भी आती है रोजाना,
कुछ देर बैठती है साथ, पुरानी बाते करती है,
कुछ गुज़ारे हुए हसीं मंज़र ताज़ा करती है,
और कुछ रुला देती है मुझको.
कुछ ऐसे गुजरते है दिन,
मेरे कमरे का आइना भी नहीं पहचानता अब मुझको,
उम्मीदों ने धीरे धीरे दम तोड़ दिया है,
अब कोई वजह नहीं दिखती जिंदा रहने की,

तुम्हारे न लौटकर आने के फैसले ने,
मेरी ज़िंदगी के मायने बदल दीये.

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