Tuesday 5 October 2010

शायद...

एक चेहरा रहेगा धुन्दला सा, यादो पे धुल जमी होगी,
सब कुछ तो रहेगा दामन में, बस एक चीज़ की बहोत कमी होगी.


कुछ तारीखों पे शायद दिल कुछ देर के खातिर भर आये,
किसी शाम अचानक तन्हाई में बीते कल पे पछताए.
कभी नाम सुनो तो शायद दिल की धड़कन बढ़ जाएगी,
कभी रात अँधेरे यादे मेरी तुमसे देर तलक लड़ जाएगी,
कभी यु ही अचानक मेरी लिखी गझलो को सहलाओगी,
फिर चाँद को देखोगी जी भरके और खुदको बहलाओगी.
हर बात पे मेरी बात तुम्हे तो याद यक़ीनन आएगी,
कभी तुमको रुला रुला देगी, कभी तुमको कुछ समझाएगी.
मेरे अशआर सारी बीती बाते जिन्दा कर देंगे,
उन शामो को दोहराएंगे, वो राते जिंदा कर देंगे.
तुम कोशिश करना फिर भी मुझको भूल ही जाने की,
मेरी यादे, बाते मेरी और उस रब्त को दफनाने की.
किसी ख्वाब के माफिक धीरे धीरे मै धुन्दला हो जाऊंगा,
मसरूफ रहोगी तुम औरो में और मै यादो से भी खो जाऊंगा.
फिर शायद वो तारीखे भी तुम्हारे जहन से उतर जाये,
मेरा वजूद, मेरे अल्फाज़ कागज़ से गिरकर बिखर जाए,
शायद वो चाँद भी तुमको मेरी यादो तक न ला पाए,
न मेरी गज़ले तुमको गोद में अपनी सुला पाए.
तब कुछ वक़्त अकेले कमरे में, मेरी गज़लों की सोबत में,
दो चार कतरे आंसू के अपनी आंखोसे बहा देना,
हो पाए अगर मुमकीन तुमसे पुरे दिल से एक दुआ देना.
अब मेरी साँसे रुक जाये, दिल की आवाज़ भी थम जाये,
तेरी तस्वीर को तकता रहू, और बस उस पल ही दम जाए....

2 comments:

Friend... said...

jo chehra jo dil kuch ehmiyat rakhta hoga vo dhundla nahi hota hai.
Nice n different creation...

Anonymous said...

Thank You....

Ajit