Friday 28 May 2010

शोर बहोत है

शायद यहापर शोर बहोत है,
या लफ्ज मेरे कमज़ोर बहोत है.

जंग छिड़ी है दोनों में,
और नाज़ुक इश्क की डोर बहोत है.
या लफ्ज मेरे कमज़ोर बहोत है.

मेरे इश्क की हार मुकम्मल,
उसकी नफ़रत में जोर बहोत है.
या लफ्ज मेरे कमज़ोर बहोत है.

इश्क में हार का लुफ्त अलग है,
जीत को खेल और बहोत है.
या लफ्ज मेरे कमज़ोर बहोत है.

2 comments:

Friend... said...

Gazal padhtehi bohot shor sunai de raha hai. thoda tham jana chahiye jab tak shor band na ho jaye.
nice gazal.

Ajit Pandey said...

Thank a lot for comments...