Monday 1 November 2021

इजाज़त

तुझे अभी थकने की इजाज़त नही है।

कश्ती है बादबानी, समंदर भी बातूफान है,
यकायक जमीं पे जैसे टूटा आसमान है,
माना ये सफर शाक है, दुश्वार है बहोत, 
माना ये बहोत मुश्किल, पेचीदा इम्तेहान है,
पर ये दौर है फ़क़त, कोई क़यामत नही है।
तुझे अभी थकने की इजाज़त नही है।

जो हो रहा है उसपे तेरा क्या कोई ज़ोर है?
हालात सख्त है मगर तू भी कहा कमज़ोर है?
बदलाव ही एक सच है जो सब पे अमल है,
ऐतबार कर रात के उस पार उजली भोर है।
ना सोच तुझपे उसकी नज़र ए इनायत नही है।
तुझे अभी थकने की इजाज़त नही है।

विपरीत है हालात संयम से काम ले ज़रा,
जो जीतना है अन्ततः, युद्ध से विराम ले ज़रा,
यही वक़्त है खुदको आज़मा के ज़रा देख ले,
खुदकी मदद के वास्ते बस खुदका नाम ले ज़रा।
खुदसे बड़ी दुनिया मे कोई सदाक़त नही है।
तुझे अभी थकने की इजाज़त नही है।

ये दौर, जाने अनजाने है कर रहा बेहतर तुझे,
देखना काम आएंगे तजुर्बे उम्रभर तुझे,
उन मुश्किलो से लड़ रहा है देख हो बेबाक तू,
बेइंतेहा जिनसे कभी लगता रहा है डर तुझे।
शफ़क ज़िन्दगी की तुझसे अदावत नही है।
तुझे अभी थकने की इजाज़त नही है।







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