Tuesday 1 December 2020

कमी

तपते सहरा में, जैसे जमीं महसूस होती है।
मुझे कुछ उस तरह तेरी कमी महसूस होती है।

पलकों को उतना ही भिगोते है मेरे आंसू,
समंदर किनारे जितनी नमी महसूस होती है।
मुझे कुछ उस तरह तेरी कमी महसूस होती है।

तेरी सोबत है तो, हर बात कुछ आसान लगती है,
वरना सांसों में भी बरहमी महसूस होती है।
मुझे कुछ उस तरह तेरी कमी महसूस होती है।

अमूमन रोज़ हर आहट पे लगता है कि तुम आए,
कुछ देर को सांसे थमी महसूस होती है।
मुझे कुछ उस तरह तेरी कमी महसूस होती है।






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