Thursday 29 March 2018

दौर

शब् ए आफताब बेवक़्त ढल रहा है।
उजालो का दौर बुरा चल रहा है।

नुमाईश न कर आरज़ी शोहरतो की,
जो तेरा आज है, वो मेरा कल रहा है।
उजालो का दौर बुरा चल रहा है।

वो जिसकी आँखों में है समंदर,
उसीका सीना भी जल रहा है।
उजालो का दौर बुरा चल रहा है।

है झूटी कहानी माना ये, फिर भी,
बच्चे का दिल तो बहल रहा है।
उजालो का दौर बुरा चल रहा है।

दो पैरो के जैसी है ये साझेदारी,
एक थक गया, तो एक चल रहा है।
उजालो का दौर बुरा चल रहा है।

No comments: