Friday 3 February 2012

Random Lines...

मुद्दतो बाद निजात मिली है महफ़िलो से,
मुद्दतो बाद खुदसे लिपटकर रोया हु,

उफ़! तेरा जाना भी मुझे कुछ देकर गया.
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कल रातभर टपकती रही रोशनी चाँद से,
मेरे कमरे के खुश्क अँधेरे से निजात मिली,

ऐसे ही एक चाँद था मेरा, रूह को रोशन करता था.

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कल रातभर धुन्धता रहा गज़लों में,
सारी गज़ले अशआर अशआर कर देखली,

एक लम्हा संभलकर रखा था गज़लों में, हा तुझसे ही बाबस्ता

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बहोत देर तक उस बज़्म की रूमानी में कैद रहा,
अँधेरे कोनो में धुन्ड़ता रहा तेरी गैर मौजूदगी.

किसी और के होने से भी बेहतर है, तेरा ना होना.

4 comments:

Kapil Sharma said...

Thanks for being a such a wonderful read

here is something for you:)

http://nuktaa.blogspot.in/2012/02/liebster.html

Kapil Sharma said...
This comment has been removed by the author.
shivani said...

चाँद पर तुम कुछ भी लिखो वो मेरी पसंद का ही होगा ......हैरान हूँ कैसे लिख लेते हो ऐसा...अति सुन्दर....

Ajit Pandey said...

Chand pe mai bhi jab likhata hu bahot achcha feel karata hu... Thanks Plz keep visiting my blog always.