Sunday 1 August 2010

कुछ बाते जो...

कुछ बाते दिल में दबी रही, न हमने कही, न तुमने कही.
बेजुबां कई तकलीफे, कुछ तुमने सही, कुछ हमने सही.

फुजूल हमने गवां दिए वो मौके खुलके बरसने के,
अब गुबार के बादल तो है, पर बारिश की उम्मीद नहीं.
बेजुबां कई तकलीफे, कुछ तुमने सही, कुछ हमने सही.

कितनी बाते तो की तुमसे, वो सारी बाते बेमतलब थी,
बस दो बाते थी मतलब की, जो कायम दिल में कैद रही.
बेजुबां कई तकलीफे, कुछ तुमने सही, कुछ हमने सही.

कुछ लफ्ज मेरे होटो पे आकर कपकपाते रह जाते थे,
कशमकश थी एक इतनी सी, ये गलत नहीं या सही नहीं.
बेजुबां कई तकलीफे, कुछ तुमने सही, कुछ हमने सही.

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