Wednesday 23 December 2009

Draft: Date : 22/07/2009

रोजाना शाम जब जलती है 'शफक'
कतरा कतरा आँख पिघलती है 'शफक'


इश्क से पहले, इश्क में औ बाद इश्क के
राहत दीवानों को नहीं मिलती है 'शफक'
कतरा कतरा आँख पिघलती है 'शफक'

खुदा को भी क्या दोष दु, मै जानता हु,
आजकल दुवाए कहा दिल से निकलती है 'शफक'
कतरा कतरा आँख पिघलती है 'शफक'

सुने सुने चुपचाप ये कहकशे सारे,
इन्ही सन्नाटो में फिर बात चलती है 'शफक'
कतरा कतरा आँख पिघलती है 'शफक'

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