Saturday 16 August 2014

दोहे



लिबास बदला रिश्ते का, है वही पुरानी जां,
ज्यों ज्यों बूढी हो रही, बेटी लगे है माँ।

बड़ा सरल और साफ़ है रिश्तो का आधार,
जितनी मुझसे जरूरते, उतना मुझसे प्यार।

एक ही जीवनकाल में बदले दो किरदार,
जो घर का सरदार था,अब वहीं है पहरेदार।

अपने अपने तौर से दोनों ने जताया प्यार,
माँ ने सुसंस्कार दिए, पीता ने कारोबार।

3 comments:

R@G said...

very nice and true lines...

R@G said...

Very nice and true lines !!!

Ajit Pandey said...

Thanks Rupali :)