Sunday 7 July 2013

अब जरुरी है

अब जरुरी है हमॆ खुदगर्ज़ हॊना चाहीयॆ,
यॆ मर्ज़ है अगर तॊ यॆ मर्ज़ हॊना चाहीयॆ.

उसनॆ यु लीया कुछ जायजा मा की तबीयत का,
तकल्लुफ सा लग रहा था जॊ फर्ज़ हॊना चाहीयॆ.
यॆ मर्ज़ है अगर तॊ यॆ मर्ज़ हॊना चाहीयॆ.

दौलत ऒ जायदाद बहॊत दॆ दीया अब् तक,
बच्चॊ कॆ हिस्सॆ मॆ पीता का कर्ज़ हॊना चाहीयॆ.
यॆ मर्ज़ है अगर तॊ यॆ मर्ज़ हॊना चाहीयॆ.

2 comments:

shivani said...

उसनॆ यु लीया कुछ जायजा मा की तबीयत का,
तकल्लुफ सा लग रहा था जॊ फर्ज़ हॊना चाहीयॆ.

bas shayad itna hi rishta rah gaya hai aajkal.


दौलत ऒ जायदाद बहॊत दॆ दीया अब् तक,
बच्चॊ कॆ हिस्सॆ मॆ पीता का कर्ज़ हॊना चाहीयॆ
isko koi karz nahi samajhta.ye to pita ka farz samajhtey hain aaj ke bachhey.bahut achhi soch ke saath likhi gayi hai ye rachna.i like it very much.

Ajit Pandey said...

Thanks Shivani!!! Tum bas yu padhkar bataya karo.. Mai likhata rahunga!!