Monday 17 December 2012

कल यु ही...

कल यु ही तेरी यादो को टटोलते हुए,
जहन के एक कोने में एक ख़याल मिला,
बहोत पुराना सा लग रहा था,
मैंने जज्बातों की जालिया हटाई,
वक़्त की धुल को साफ़ किया,
...
बड़ी हिफाजत से उठाकर,
करीब लाकर गौर से देखा,
सालो पहले की एक शाम का मंजर,
तुझसे रुखसत लेते वक़्त,
मै कुछ कहते कहते रुक सा गया था,
भूल चुकी हो तुम?
मुझको भी कहा याद था वैसे,
वो अनकहा ख़याल अब भी जिंदा है,
'तुमसे मौजज़ा फिरसे मिलूँगा, मुझको यकीं है'
फिर 'उस' उम्मीद ने साँसे ली कल,
फिर 'उस' उम्मीद में जान आई है.

कल यु ही तेरी यादो को टटोलते हुए,
जहन के एक कोने में एक ख़याल मिला,

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