Friday 5 August 2011

परिंदे को आसमान दे दु.

अपने कमरे की तनहाई को जुबान दे दु,
पिंजरा खोल दू, परिंदे को आसमान दे दु.


खुदा तादाद में है, मंदिरों औ मस्जिदों में,
मिल जाये, तो इस शहर को इंसान दे दु.
पिंजरा खोल दू, परिंदे को आसमान दे दु.

खुदकुशी यु गर की जाये, तो खुद्दारी बनी रहे,
अपने नजरो से गिर जाऊ, अपनी जान दे दु.
पिंजरा खोल दू, परिंदे को आसमान दे दु.

ग़लतफ़हमी है, इस खेल में मै जान हारूँगा.
इश्क औ उम्मीद हर जाऊ तो फिर ईमान दे दु.
पिंजरा खोल दू, परिंदे को आसमान दे दु.

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