Wednesday 23 June 2010

जलती रही आँखे


कतरा कतरा पिघलती रही आँखे,
कल रातभर जलती रही आँखे.


जानेवाले को ये मलाल न था.
साथ उसके कुछ दूर चलती रही आँखे.
कल रातभर जलती रही आँखे.

जिक्र पे उनके हर एक महफ़िल में,
लडखडाते रहे आंसू, संभलती रही आँखे.
कल रातभर जलती रही आँखे.

सहर होते ही चमकने लगी उम्मीदोसे,
शाम के साथ साथ ढलती रही आँखे.
कल रातभर जलती रही आँखे.

No comments: