चाँद टीका था खिड़की पे...
कल रात अचानक ऐसे लगा तेरा चेहरा दीखा था खिड़की पे,
गौर से देखा तो पाया की चाँद टीका था खिड़की पे.
पुरे फलक के तारे जोड़े कुछ अबरो की स्याही ली,
मैंने अपने हाथो तेरा नाम लिखा था खिड़की पे.
गौर से देखा तो पाया की चाँद टीका था खिड़की पे.
एक झलक तो देखा चाँद औ तेरी तस्वीर में डूब गया,
शब् भर उस महताब का तेवर बेहद तीखा था खिड़की पे.
गौर से देखा तो पाया की चाँद टीका था खिड़की पे.
वो शब् जब तुमने मुझसे आखरी रुखसत लेनी थी,
आधा अधुरा यही चाँद फीका फीका था खिड़की पे.
गौर से देखा तो पाया की चाँद टीका था खिड़की पे.
2 comments:
bade dino baad is blog par kuch romantic gazal padhne mili hai :). its good.
Thanks :). Aage bhi koshish jari rahegi...
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