इससे जुदा क्या और नज़ारा होगा।
उस पार भी रेत ही का किनारा होगा।
ये क्या जन्नत औ दोज़ख़ की बात करते हो,
कुछ करो की इस ज़मी पे गुज़ारा होगा।
उस पार भी रेत होगी, किनारा होगा।
बचा लिया है ठोकरों ने बड़े हादसो से,
हो सकता है ये उसका इशारा होगा।
उस पार भी रेत होगी, किनारा होगा।
कश्तियों ने मुसाफ़िर कुछ डुबोये होंगे,
समंदर ने कुछ को पार उतारा होगा।
उस पार भी रेत होगी, किनारा होगा।
बाकि सबने किया होगा मेरी बातों पे यकीं,
बस उसने मेरे चेहरे को निहारा होगा।
उस पार भी रेत होगी, किनारा होगा।
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