ऐसा नही की कहानी में मेरा किरदार अच्छा था।
फिर भी उभर के आया, मैं अदाकार अच्छा था।
ये क़ुरबतो ने खड़े कर दिए है मसायल कितने,
सोचता हूं, मैं इस पार, वो उस पार अच्छा था।
फिर भी उभर के आया, मैं अदाकार अच्छा था।
ये तूने क्या कर दिया इसे 'रिश्ता' बनाकर,
इससे कई सौ गुना मेरा 'बस प्यार' अच्छा था।
फिर भी उभर के आया, मैं अदाकार अच्छा था।
हालांकि अपने आप मे था नाकामियाब ही,
वो जो ज़मानेभर को सलाहगार अच्छा था।
फिर भी उभर के आया, मैं अदाकार अच्छा था।
आंखों में चमक, तबस्सुम, रुख पे ताज़गी ना थी,
बिंदिया, चुनर, चूड़ियां, गले का हार अच्छा था।
फिर भी उभर के आया, मैं अदाकार अच्छा था।
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