जो हुआ, वो गुज़र गया है, जाने दे।
दिन दरिया में उतर गया है, जाने दे।
मंज़िल, रस्ता, वही है अब भी, वैसे ही,
छोड़ के बस हमसफर गया है, जाने दे।
दिन दरिया में उतर गया है, जाने दे।
हालात सबब थे फुरक़त का तो कोशिश कर,
वो अपनी मर्ज़ी से अगर गया है, जाने दे।
दिन दरिया में उतर गया है, जाने दे।
देख पुरानी ग़ज़ले खुदकी पढ़ने में,
कोई ज़ख्म पुराना उभर गया है, जाने दे।
दिन दरिया में उतर गया है, जाने दे।
दोनों ज़िम्मेदार हो तुम इस दूरी के,
तू इधर रहा, वो उधर गया है, जाने दे।
दिन दरिया में उतर गया है, जाने दे।
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