वो खुदकी नज़र में इतना उभरता चला गया।
सबके दिलों से फिर वो उतरता चला गया।
वो हौसला, वो ख्वाब, ये सब बचपने के बाद,
जो हालात ने कराया, करता चला गया।
सबके दिलों से फिर बस उतरता चला गया।
खाका ए ज़िन्दगी मेरी बनायीं वक़्त ने,
तजुर्बा एक एक रंग फिर भरता चला गया।
सबके दिलों से फिर बस उतरता चला गया।
जिस दिन से तूने बिछड़ के जीने की बात की,
उस दिन से रफ्ता रफ्ता मैं मरता चला गया।
सबके दिलों से फिर बस उतरता चला गया।
परवाज़ से मगरूर हो जब जमीं से टूटता,
परो को अपने खुद ही कतरता चला गया।
सबके दिलों से फिर बस उतरता चला गया।
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