सख्त हो रहा है
ये क्या यकलख्त हो रहा है,
सबका लहजा क्यों सख्त हो रहा है?
नींद की गहराई नहीं नापती अब रातो को,
घडी देखो जरा क्या वक़्त हो रहा है.
सबका लहजा क्यों सख्त हो रहा है?
परिंदों को जरा सोचना होगा
क्यों खुदगर्ज ये दरख़्त हो रहा है?
सबका लहजा क्यों सख्त हो रहा है?
2 comments:
परिंदों को जरा सोचना होगा
क्यों खुदगर्ज ये दरख़्त हो रहा है?
सबका लहजा क्यों सख्त हो रहा है?
vartmaan sthitiyon per parindon ke maadhyam se bahut sundar kataaksh likha hai....well done....
:), Thanks
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