Thursday, 23 July 2015

Tuesday, 14 July 2015

Saturday, 27 June 2015

Monday, 22 June 2015

हिसाब करदे...

फ़ना सारे उम्मीदों ओ ख्वाब करदे
ज़िन्दगी चल मेरा हिसाब करदे।

बरसने से पहले पिलु बेहतर है,
मेरे अश्को को बस शराब करदे।
ज़िन्दगी चल मेरा हिसाब करदे।


रंजिशे और भी है खुदसे मेरी,
ये तन्हाई कुछ और आबाद करदे।
ज़िन्दगी चल मेरा हिसाब करदे।

ये हूनर नज़रो का होता है 'शफ़क़',
बस देखे, चेहरे को किताब करदे।
ज़िन्दगी चल मेरा हिसाब करदे।

Friday, 10 April 2015

तन्हाई है...

कुछ चीज़े है, परछाई है।
मै हु और तन्हाई है।

चेहरे से नज़र नहीं आता,
समंदर हु, गहराई है।
मै हु और तन्हाई है।

तू था ही नहीं मुकद्दर में
यक़ीनन महज़  सफाई है?
मै हु और तन्हाई है।

मेरे होने से सब रिश्ते,
चुभती है? सच्चाई है।
मै हु और तन्हाई है।

नोक झोक में उधड गयी,
बड़ी कच्ची तुरपायी है।
मै हु और तन्हाई है।

Sunday, 1 March 2015

बाते



तुझसे बाबस्ता कुछ अनकही बाते,
जहन में ताज़ा हुयी कल वही बाते।

हम कस्मे, वादे, उसूलो का नाम देते थे,
महज बाते ही थी  रही बाते।
जहन में ताज़ा हुयी कल वही बाते।

मै अक्सर रो देता हु हसते हसते,
मैंने चाहा मगर, कुछ भूली नहीं बाते।
जहन में ताज़ा हुयी कल वही बाते।

नज़रिया, हालात औ वक़्त के तकाज़े पे,
अक्सर गलत हो जाती है कुछ सही बाते।
जहन में ताज़ा हुयी कल वही बाते।

बस दो लफ्जो का सवाल था उसका,
जवाब में रातभर फिर बही बाते
जहन में ताज़ा हुयी कल वही बाते।

अब हम वायीजी से टाल जाते है।
कभी कितना सुकूं देती थी यही बाते।
जहन में ताज़ा हुयी कल वही बाते।

Monday, 16 February 2015

बड़ा मुश्किल है

बड़ा मुश्किल है किसी बात को शुरू करना,
फिर संजीदगी से उसपे गुफ्तगू करना।

दुरुस्त ऐसे ही होते है बिगड़े रिश्ते,
फटे कपड़ो पे उसी धागे से रफू करना।
फिर संजीदगी से उसपे गुफ्तगू करना।

ये सुकूं तो है पर दिल कहा भरता है "शफ़क",
तेरी पहलू में रहना, तेरी जुस्तजू करना।
फिर संजीदगी से उसपे गुफ्तगू करना।

रूबरू तुझसे हु लाजिम है आँखों की नमी,
जरुरी है पहले सजदे के वज़ू करना।
फिर संजीदगी से उसपे गुफ्तगू करना।