Friday, 13 June 2025

कलमकार

कलमकार तेरी गलतियों, नादानी से।
किरदार बड़े हो रहे है कहानी से।

खतरे में आ गया है देख समंदर का वजूद,
हवा की रंजीश हो गई सुना है पानी से।
किरदार बड़े हो रहे हैं कहानी से।

मैंने एक नज़्म लिखी थी कभी तेरे लिए ही,
लफ्ज़ मुकरने लगे है अपने मानी से।
किरदार बड़े हो रहे है कहानी से।

जिसे पाने में  जहमत नही उठानी पड़ी,
वो मैंने खो भी दिया फिर बड़ी आसानी से।
किरदार बड़े हो रहे है कहानी से।

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