मुझमें चालाखिया है, रंजिशें है, बेवफाई नही है।
ये हक़ीकत है मेरी दलील ए सफाई नही है।
वो अमूमन रोज़ाना सताती है उठाती है मुझे,
वो एक नज़्म जो खुदको भी सुनाई नही है।
ये हक़ीकत है मेरी दलील ए सफाई नही है।
क्यों रोउ, क्यो चीखु, तेरे जाने पे भला मैं,
महज़ रुख़सत है मेरी जां, ये जुदाई नही है।
ये हक़ीकत है मेरी दलील ए सफाई नही है।
तेरा खयाल, तेरी उम्मीद, तेरी यादे, कमी तेरी,
मैं अकेला हु, पर चार सु तनहाई नही है।
ये हक़ीकत है मेरी दलील ए सफाई नही है।
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