Friday, 14 October 2016

बाते

छोड़ो ये लढने लढाने की बाते।
ख़ामख़ा ही बढ़ेगी बढ़ाने से बाते।

लहज़ा कुछ हो, गलत तो गलत ही रहेगा,
बदलती नहीं स्वर चढाने से बाते।
बढ़ेगी यक़ीनन बढ़ाने से बाते।

सोच लो पहले कहने से दो बार भीतर,
झूठ लगती है यु लड़खड़ाने से बाते।
बढ़ेगी यक़ीनन बढ़ाने से बाते।

लफ्ज नायाब है, लुटाओ नहीं यु,
सस्ती हो जायेगी बड़बड़ाने से बाते।
बढ़ेगी यक़ीनन बढ़ाने से बाते।

ये कोशिश 'शफ़क़' फिरसे ज़ाया ही होगी,
पढ़ी कब किसीने पढ़ाने से बाते।
बढ़ेगी यक़ीनन बढ़ाने से बाते।

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