Saturday, 16 July 2016

पत्थर कर लू

बजाय इसके की रो रो के बद्तर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

तेरी सोच औ समझ पे तो मेरा जोर नहीं,
मुनासिब है मेरा लहजा ही बेहतर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

रुखा चेहरा, सीने की जलन, खुश्क आँखे,
तेरी बाहों में आउ, खुदको तरबतर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

तू कागज़ पे रख दे अपना इश्क औ जुनूं,
मै तेरे लिखे लफ्जो को मुकद्दर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

तुझिसे ज़िन्दगी है तू ही सबब मौत का भी,
मुमकीन है अपनी साँसों को जहर कर लू।
आँखे खुश्क रखु, दिल को पत्थर कर लू।

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