जिक्र मेरी किसी ग़ज़ल का करना,
फिर आँखों का छलका करना।
आज से जो नाउम्मीद हो जाए,
फिर कोई वादा कल का करना।
जिक्र मेरी किसी ग़ज़ल का करना।
उम्र लगी है दाव पे तो फिर
क्या हिसाब पल पल का करना।
जिक्र मेरी किसी ग़ज़ल का करना।
तकिये को सीने पे रखके,
दिल के बोझ को हल्का करना।
जिक्र मेरी किसी ग़ज़ल का करना।
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