वो कहता है हासिल ए जां हु मै।
मै जानता हु की तन्हा हु मै।
दिल में शर्मिन्दगी, ग़मज़दा आँखे,
इसके अलावा मेरी जां कहा हु मै?
मै जानता हु की तन्हा हु मै।
इश्क ओ ज़फ़ा फुरक़त औ उम्मीद,
बारहा बर्दाश्त की इन्तेहां हु मै।
मै जानता हु की तन्हा हु मै।
मै शर्मिंदा कर देता हु उसे बेटा होकर,
वो हर बार कह देती है की मां हु मै।
मै जानता हु की तन्हा हु मै।
वो जिसे मोड़ कहकर तू चल दिया था,
मुड़कर देख अब भी वहा हु मै।
मै जानता हु की तन्हा हु मै।
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