Random Lines...
मुद्दतो बाद निजात मिली है महफ़िलो से,
मुद्दतो बाद खुदसे लिपटकर रोया हु,
उफ़! तेरा जाना भी मुझे कुछ देकर गया.
___________________________________
कल रातभर टपकती रही रोशनी चाँद से,
मेरे कमरे के खुश्क अँधेरे से निजात मिली,
ऐसे ही एक चाँद था मेरा, रूह को रोशन करता था.
___________________________________
कल रातभर धुन्धता रहा गज़लों में,
सारी गज़ले अशआर अशआर कर देखली,
एक लम्हा संभलकर रखा था गज़लों में, हा तुझसे ही बाबस्ता
___________________________________
बहोत देर तक उस बज़्म की रूमानी में कैद रहा,
अँधेरे कोनो में धुन्ड़ता रहा तेरी गैर मौजूदगी.
किसी और के होने से भी बेहतर है, तेरा ना होना.
4 comments:
Thanks for being a such a wonderful read
here is something for you:)
http://nuktaa.blogspot.in/2012/02/liebster.html
चाँद पर तुम कुछ भी लिखो वो मेरी पसंद का ही होगा ......हैरान हूँ कैसे लिख लेते हो ऐसा...अति सुन्दर....
Chand pe mai bhi jab likhata hu bahot achcha feel karata hu... Thanks Plz keep visiting my blog always.
Post a Comment