मेरी हकीकत जान लेते हो...
मेरे चेहरे को पढ़ते हो, सच मान लेते हो,
सोचते हो, की मेरी हकीकत जान लेते हो.
नज़र में अब भी वो सवाल क्यों रखे खामखाँ.
किस हक से मेरी जाँ अब इम्तिहान लेते हो.
सोचते हो, की मेरी हकीकत जान लेते हो.
ये मोहब्बत ही है, महज हमदर्दी नहीं होगी?
सूना है आज भी मुझे नाम से पहचान लेते हो.
सोचते हो, की मेरी हकीकत जान लेते हो.
मुझे तो हक भी 'शफक' अपने बाकर्ज़ मिले है.
ताजूब है, बड़े हक से तुम अहसान लेते हो.
सोचते हो, की मेरी हकीकत जान लेते हो.
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