तन्हाई...
कोई आवाज़ जब इन दरिचो से आती है,
मेरी तन्हाई चौंकती है, सहम जाती है.
हर आहट पे बेवजह गौर करता हु,
एक उम्मीद है जो अब भी आजमाती है.
मेरी तन्हाई चौंकती है, सहम जाती है.
तेरे न होने पे रोकर के जो थक जाऊ,
तुम होते तो? इस ख्याल पे रुलाती है.
मेरी तन्हाई चौंकती है, सहम जाती है.
मै आईने में देखता हु चेहरा अपना,
दीवार पे लगी 'वो' तस्वीर मुस्कुराती है.
मेरी तन्हाई चौंकती है, सहम जाती है.
कोई आता है चूमता है मेरे हाथो को.
कोई आवाज़ मेरी गज़ले गुनगुनाती है.
मेरी तन्हाई चौंकती है, सहम जाती है.
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