गज़ल
मेज पर रखी हुई एक अधमरी गज़ल के,
लफ्जो ने, जैसे एक दुसरे को पकड़ कर रखा था,
की कही हाथ छुट गए तो बिखर जायेंगे,
फिर कागज़ पे छिंटो के तरह बिखरे लफ्जो
के मायने ढूंडने पर भी शायद न मिले.
ऐसे ही कभी शिद्दत से पकड़ा था ना हाथ तुमने,
बड़ी जल्दी हाथ छुड़ाकर चली गयी तुम,
बिखरा पड़ा हु मै, अपनी ही ज़िंदगी में,
रोजाना कोशिश करता हु, ढूंडता हु ,
कोई मायना नज़र नहीं आता जीने का.
एक आखरी वफ़ा करदो मुझसे,
इन सारे लफ्जो को समेट्लो,
और दफनादो उसी आगाज पे,
जहा इन लफ्जोने एक दुसरे का हाथ थामा था.
8 comments:
bahut dino bad GAZALki rah kuch alag modpe nazar aa rahi hai.
Again nice collection of words...
Oh.. Thank u, kuchh dino se thahrav nahi tha life me.... ab shayad aa gaya hai..
ok. so these all gazals relate your current life.
Zindagime thehrav sachme jaruri hota hai.
Ya, can say!!!!
ek ek shabd bahut jyada meaningful lag raha hai.
kisine kaha hai shabd hathiyar hote hai sambhalkar chalane chahiye.
Well Said Sir/ Mam :)
Gazalki rah mud janeke bad is blogpe fir ek bhi gazal nahi aai hai!!!
Waiting for NEW creation if it is present with you...
Ya, this time even I was waiting for Gazal to com out, some incomplete gazals are there now.
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