कभी कभी.......
रास्ते पे देखा, मुस्कुराया,दिखा दिया हाथ कभी कभी.
इसको भी कहा है हमने मुलाकात कभी कभी.
कितने डरे हुए थे लफ्ज, कपकपा रहे थे होटो पे,
आँखे बेबाक हो बताती है पर जज्बात कभी कभी.
इसको भी कहा है हमने मुलाकात कभी कभी.
सुना है सीने से लगाकर रखता है वो मेरी गज़लों को,
कागज की कीमत बढ़ा देते है खयालात कभी कभी.
इसको भी कहा है हमने मुलाकात कभी कभी.
रात को चाँद देखना हमे भी है बहोत अजीज,
पर अच्छी लगती है पूरी अंधेरी रात कभी कभी.
इसको भी कहा है हमने मुलाकात कभी कभी.
उसके करीब था बहोत और बहोत फासले भी थे,
ऐसे मंज़र भी हुए है 'शफक' के साथ कभी कभी
इसको भी कहा है हमने मुलाकात कभी कभी.
3 comments:
कितने डरे हुए थे लफ्ज, कपकपा रहे थे होटो पे,
आँखे बेबाक हो बताती है पर जज्बात कभी कभी.
इसको भी कहा है हमने मुलाकात कभी कभी.
वाह क्या बात कहीं है दोस्त, बहोत अच्छे, ऐसे ही लिखते रहो...
kya yaar pyar me ho kya bahoot achee likhte ho
Post a Comment